जीवन की सबसे बड़ी बीमारी है अकेलापन। यह कैंसर जैसा है, अन्दर ही अन्दर आदमी को कब खोख़ला बना देता है पता ही नहीं चलता और जब पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है।
Filed under: Random Thoughts, अकेलापन
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फ़रवरी 15, 2008 • 6:04 अपराह्न 2
जीवन की सबसे बड़ी बीमारी है अकेलापन। यह कैंसर जैसा है, अन्दर ही अन्दर आदमी को कब खोख़ला बना देता है पता ही नहीं चलता और जब पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है।
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प्रियवर, इस ब्लॉग का प्रयोग मैं अपने आप को अभिव्यक्त करने के लिये करता हूं और आप का स्वागत है मेरे अन्दर झांक कर देख लेने के लिये ।
आम तौर पर मैं कविता के माध्यम से अपने आपको व्यक्त करता हूं, मैं हिंदी का पंडित नहीं हूं, त्रूटि हो जाने पर कृपया उसे मेरे ध्यान में लायें एवं मुझे क्षमा करें ।